प्रेम की अनंत गहराई एक रिश्ता बहुत करीब से देखा हुआ, वाकया बहुत छोटा है लेकिन प्रेम में विश्वास को बनाए रखने के लिए भावनाओं से सराबोर। मैं यहाँ अनंत प्रेम को शब्दों में समेटने की कोशिश कर रही हूँ, मैं जानती हूँ , प्रेम में किसी शब्द या बाहरी आवरण के लिए कोई जगह नहीं है। फिर भी ------ वैवाहिक जीवन की शुरुआत ही विश्वास से होती है।ऐसे ही इन दोनों ( पति पत्नी ) की भी ------ विश्वास और भरोसे के साथ दोनों का प्रेम समय के साथ साथ और भी अधिक गहरा होता गया, इस प्रेम की तरह परिवार की जिम्मेदारियां भी बढ़ने लगी। इस जिम्मेदारी के चलते -चलते दोनों को अलग अलग स्थान पर नौकरी करनी पड़ी। पत्नी बच्चों के साथ रहकर और पति परिवार से दूर रहकर, समय बीत रहा था, दोनों के प्रेम करने तरीके बदल गये, लेकिन उस प्रेम में अब पहले से भी कही अधिक गहराई और अपनापन था, दोनों का एक दूसरे के लिए सम्मान था। इस भागदौड़ और व्यस्तता के बाद भी उन दोनों में एक चीज कभी नहीं बदली, वो था उन दोनों का प्रेम और भरोसा। दोनों अपनी व्यस्त दिनचर्या में से भी, समय से कुछ पल अपने लिए चुरा लेते थे। दोनों के कार्यक्षेत्र की दिनचर्या बिल्कुल विपरीत थी लेकिन इसके बावजूद भी दोनों का प्रेम और भरोसा चरमबिंदु पर था। पत्नी की दिनचर्या का हिस्सा था पति को फोन करके उठाना और दिनभर की व्यस्तता के बाद रात को पति के फोन का इंतजार करना, क्योंकि दोनों का कार्यक्षेत्र, दिन में फुर्सत से बात करने की इजाज़त नहीं देता था। वही पति की दिनचर्या में देर रात से लौटने पर सबसे पहले पत्नी से फोन पर बात करना दिनचर्या का हिस्सा था, जितना इंतजार पत्नी को फोन आने का होता था, उतनी ही बेसब्री पति को फोन करने की। ये सिलसिला चलता रहा। एक दिन पत्नी दिन भर की भागदौड़ से शायद कुछ ज्यादा ही थक गयी थी, इंतजार कुछ ज्यादा ही लम्बा लगने लगा था, घड़ी की टिक टिक बार बार उसका ध्यान अपनी ओर केंद्रित कर रही थी, तभी एक बजे के आसपास पति का फोन आता है, बातों का सिलसिला शुरू हो जाता है -----------। अगले दिन सुबह फिर वही दिनचर्या शुरू हो जाती है पत्नी, पति को उठाने के लिए फोन निकालती है, तो नजर फोन के मैसेज पर पड़ती है जिस पर Sorry लिखा हुआ था, पत्नी को कुछ भी समझ में नहीं आया और उसने तुरंत पति को फोन लगाया। पति फोन पर पत्नी से बोला - तुम ठीक हो। पत्नी ने हाँ में जवाब दिया, फिर बोली आपने Sorry का मैसेज क्यों किया था, पति बोलता है - कल रात बात करते समय तुम कुछ बोल नहीं रही थी, मैं बहुत देर तक तुम्हारे हाँ और ना के बिना बात करता रहा। फिर मुझे लगा शायद बात करते करते तुम्हें मेरी किसी बात से दु:ख पहुंचा हो। पत्नी ये सब सुनकर नि:शब्द होकर अश्रुधारा में प्रवाहित हो गयी और फिर अपने को संभालते हुई बोली - मैं कल थकान के कारण आपकी बात नहीं सुन पायी थी और कब सो गयी, पता ही नहीं चला। आप इस बात को लेकर रात भर परेशान रहे और Sorry बोलने लगी, लेकिन इन दोनों के प्रेम के बीच इस शब्द के लिए कोई जगह नहीं थी ------------ । इस वाकये को लिखते समय मेरी आँखों में आँसू रुक न पाए। वाकई प्रेम में दूरियाँ मायने नहीं रखती, ये तो भावनाओं का अतिरेक है, प्रेम नि:शब्द है