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Saturday 22 April 2017

आलोचक और निंदक 
एक आलोचक किसी भी विषय या दृष्टांत का समग्र निरीक्षण करने के पश्चात उसकी गलतियों या कमियों पर प्रकाश डालता है, उसे उजागर करता है, लेकिन एक निंदक सिर्फ और सिर्फ अपनी निंदा के आवरण से समग्र विषय या दृष्टांत को अंधेरे में छिपा देना चाहता है। निंदक विषय के किसी भी पहलू को समझना ही नहीं चाहता, उसे सिर्फ किसी बात को गलत साबित करना होता है, अपने स्वार्थ के वशीभूत होकर, लेकिन एक आलोचक कभी भी स्वार्थी नहीं होता वो निष्पक्ष होकर विषय का विश्लेषण करता है, जो हमारी सफलता और विचारों की गहनता के लिए महत्वपूर्ण भूमिका निभाता हैं।

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