आलोचक और निंदक
एक आलोचक किसी भी विषय या दृष्टांत का समग्र निरीक्षण करने के पश्चात उसकी गलतियों या कमियों पर प्रकाश डालता है, उसे उजागर करता है, लेकिन एक निंदक सिर्फ और सिर्फ अपनी निंदा के आवरण से समग्र विषय या दृष्टांत को अंधेरे में छिपा देना चाहता है। निंदक विषय के किसी भी पहलू को समझना ही नहीं चाहता, उसे सिर्फ किसी बात को गलत साबित करना होता है, अपने स्वार्थ के वशीभूत होकर, लेकिन एक आलोचक कभी भी स्वार्थी नहीं होता वो निष्पक्ष होकर विषय का विश्लेषण करता है, जो हमारी सफलता और विचारों की गहनता के लिए महत्वपूर्ण भूमिका निभाता हैं।
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