जब भी हो कठिन डगर
न आंको अपने को कमतर
बस धैर्य को बांधे हुए
कर्मपथ पर रहो अडिग
माना बेशकीमती चीजों की
होती है मुश्किल डगर
लेकिन समय बताता
इनकी होती बड़़ी कदर
कमल कीचड़ में खिलता
अपना वजूद बनाए रखता
हीरा कोयले में मिलता
अपनी अलग चमक से
रत्नों में पहचान बनाता
गुलाब कांटों में खिलकर भी
अपनी मुस्कान बनाए रखता
कठिन डगर हौले से कहती
धैर्य है सफर का साथी
नदी का प्रवाह कभी तुमने देखा
पत्थरों से टकराकर बहती
फिर भी कठोरता को छोड़
अपना जल निर्मल ही रखती
कमला शर्मा
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