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Thursday, 27 April 2017
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बारिश
बारिश की इन बूंदों को सहेज लेना चाहती हूँ अपनी हाथों की अंजुली में आने वाली पीढी के लिए लेकिन कितना अजीब है न !! ऐसा सब सोचना.....
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नदी तुम्हें ठहरना होगा इस धरा को दरकने से बचाने के लिए तुम्हें प्रवाहित होना होगा संस्कृति के संचरण के लिए। तुम्हें अपनी नमी से बचाना होग...
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ट्रेन मेरे लिए एक सफर तय करने का संसाधन मात्र नहीं थीं, इसकी रफ्तार के साथ मेरी जिंदगी की रफ्तार तय होती थी। उनींदी अवस्था में भी ट्रेन स...
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कोहरे के इस आवरण ने जैसे धुपा लिया हो प्रकृति का खूबसूरत सा सौन्दर्य ...... ये शबनम की बूंदे जैसे बयां कर रही हो प्रकृति के विरह क...
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