Search This Blog

Thursday 11 May 2017

रिश्ते

रिश्ते

रिश्ते हैं नाजुक सी डोर,
नेह के प्यारे मोती चुनकर,
रिश्तों की हम माला गूंथते।
विश्वास इसे मजबूती देकर,
अहसासों के सुंदर मोती,
एकसूत्र में हमें पिरोते।
रिश्तों की ये नाजुक डोर,
अपनेपन से हमें जोड़ती,
खालीपन की जगह न बचती।
एक-दूजे के मर्म को छूकर,
अंतर्मन में ये बस जाते।
इस नाजुक सी डोर में,
जब भी मोती कहीं बिखरते,
घर के कोनों में खोकर ,
खालीपन की जगह बनाते।
अहसासों के खालीपन में,
रिश्तें भी शिथिल हो जाते।
विश्वास में कभी ढील न देना,
भावनाओं से मजबूती देना।
नेह से रिश्ते तुम सहेजना,
रिश्तों की ये नाजुक डोर,
अहसासों से बांधे रखना।

कमला शर्मा

No comments:

Post a Comment

Featured post

बारिश

बारिश की इन बूंदों को सहेज लेना चाहती हूँ अपनी हाथों की अंजुली में आने वाली पीढी के लिए लेकिन कितना अजीब है न !! ऐसा सब सोचना.....