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Saturday 22 April 2017

प्यारी बेटियाँ ------
ओह ! मेरी प्यारी परियों ,
तुम दोनों की दिनभर नादानी।
भर देती मुझमें हैरानी !
जब तुम रहती मेरे आस पास ,
करती परेशान तुम्हारी शैतानी।
जब भी बैठती ये मेरे साथ ,
पूछती मेरे बचपन की बात।
अक्सर पूछती मेरे स्कूल की बातें ,
करती दोनों इतनी बातें ,
वो टीचर , मैं बच्ची बन जाती।
बात अंग्रेजी विषय की होती ,
पूछती कब पढ़ा ये विषय ?
मेरा जवाब छठी कक्षा होता।
यकीन नहीं दोनों को होता ,
देखती एक दूसरे की ओर ,
फिर हँसती दोनों जोर जोर से।
दोनों में से एक, सवाल ये करती ,
जब सच है ये बात , फिर हमें पढ़ाती कैसे आप ?
मैं ये सब सुनकर हँस देती ,
प्यार से उनको गले लगाती।
इस स्नेह के आँचल में , 
सवाल कहीं छूमंतर हो जाता।
उन दोनों की इस मस्ती में ,
मैं खो जाती अपने बचपन में।
दोनों आती मेरे पास ,
फिर होती आगे की बात -------
उनके होते इतने सवाल ,
न जाने कोई उनके जवाब।

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