गिल्लू
मेरे घर के आंगन में,
फुदक-फुदक कर आती गिल्लू।
नन्हें नन्हें हाथों से,
दाना चुगती प्यारी गिल्लू।
अपनी मटकाती आंखों से,
अपनी पूरी फौज बुलाती।
इस गिल्लू की पलटन में,
कबूतर, बटेर, चिड़िया सब साथी।
चिड़िया आती फुर्र से,
मुडेर में रखे पानी में।
छप-छप करके खूब नहाती।
पंख फड़फड़ा कर खूब इतराती,
गरमी के इस मौसम में।
ठंडी-ठंडी राहत पाती,
गिल्लू की इस पलटन से,
अपनी मन की बातें करती।
इस राहत भरी शीतलता से,
सज संवरकर बन-ठन के,
चिडिया उड़ जाती फुर्र से।
गिल्लू भी अपनी पलटन को,
जाने क्या निर्देश देती ?
कैप्टन गिल्लू के पीछे-पीछे,
सारी पलटन चल देती।
मेरे घर के आंगन में..........।
कमला शर्मा
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