कोहरे की घनी चादर
बताती हैजिंदगी कोहरे सी है और कोहरे जिंदगी से।
बेहद सतही जीवन है
इस श्वेत घुम्मकड़ का।
ये हमें पार देखने की इजाजत नहीं देता
ये हमें केवल अपने को ही
समझने का सबक देता है।
कोहरे सी जिंदगी की एक उम्र होती है
लेकिन
जिंदगी के कोहरे ताउम्र साथ चलते हैं।
कोहरे हमें सिखलाते है
कोहरे हमें उलझाते है
कोहरे हमें धुंध का मर्म समझाते हैं।
ये हमें श्वेत और निर्मल हो जाने के बीच
की आदमीयत से भी परिचित करवाते हैं।
कोहरे यदि समझाते हैं तो बेहतर हैं
लेकिन
वे समझ आते हैं तो मुश्किल हैं।
कमला शर्मा
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